जहाँ सम्मान न हो वो प्रेम व्यर्थ है, जहाँ संवाद न हो वह संबंध व्यर्थ है, और जहाँ विश्वास न हो, वहाँ आगे बढ़ना व्यर्थ है |
कन्यादान ने करने वाले का, जन्म व्यर्थ चला जाता है। Premchand
गुरु ने जो सिखाया है , कभी ना व्यर्थ जाएगा , गुरु वाणी जिसने ना मानी, वो सदा दुख पाएगा |
इस जीवन में ना कुछ खोता है , ना व्यर्थ होता है I Shrimad Bhagwad Gita